बग़ैर बात कोई किसका दुख बँटाता है
बग़ैर बात कोई किसका दुख बँटाता है वो जानता है मुझे इसलिए रुलाता है है उसकी उम्र बहुत कम इसलिए शायद वो लम्हे-लम्हे को जीता है गुनगुनाता है मेरी तन्हाई मुझे हौंसला सा देती है तन्हा चिराग़ हज़ारों दीये जलाता है वो दूर हो के भी सबसे क़रीब है मेरे मैं क्या … Continue reading बग़ैर बात कोई किसका दुख बँटाता है
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